Agni Puran : अग्नि पुराण

Nonfiction, Religion & Spirituality, Eastern Religions, Hinduism
Cover of the book Agni Puran : अग्नि पुराण by Dr. Vinay, Diamond Pocket Books Pvt ltd.
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Author: Dr. Vinay ISBN: 9789352781447
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt ltd. Publication: June 26, 2017
Imprint: DPB Language: Hindi
Author: Dr. Vinay
ISBN: 9789352781447
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt ltd.
Publication: June 26, 2017
Imprint: DPB
Language: Hindi

भारतीय जीवनधारा में जिन ग्रंथों का महत्त्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं । पुराणसाहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि है । इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं । भारतीय चिंतनपरंपरा में कर्मकांड युग उपनिषद युग और पुराण युग अर्थात् भक्ति युग का निरंतर विकास होता हुआ दिखाई देता है । कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के ऊर्ध्व शिखर पर पहुंचा और ज्ञानात्मक चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई ।
पुराण साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि है। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती है अठारह पुराणों में अलगअलग देवीदेवताओं को केंद्र में रखकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही है। इस रूप में पुराणों का पठान और आधुनिक जीवन की सीमा में मूल्यों की स्थापना आज के मनुष्य को एक निश्चित दिशा दे सकता है। 
निरंतर द्वंद्व और निरंतर द्वंद्\व से मुक्ति का प्रयास मनुष्य की संस्कृति का मूल आधार है। पुराण हमें आधार देते है। इसी उद्देश्य को लेकर पाठकों की रूचि के अनुसार सरल, सहज भाषा में प्रस्तुत है पुराण साहित्य की श्रृंखला में ‘अग्नि पुराण’।

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भारतीय जीवनधारा में जिन ग्रंथों का महत्त्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं । पुराणसाहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि है । इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं । भारतीय चिंतनपरंपरा में कर्मकांड युग उपनिषद युग और पुराण युग अर्थात् भक्ति युग का निरंतर विकास होता हुआ दिखाई देता है । कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के ऊर्ध्व शिखर पर पहुंचा और ज्ञानात्मक चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई ।
पुराण साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि है। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती है अठारह पुराणों में अलगअलग देवीदेवताओं को केंद्र में रखकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही है। इस रूप में पुराणों का पठान और आधुनिक जीवन की सीमा में मूल्यों की स्थापना आज के मनुष्य को एक निश्चित दिशा दे सकता है। 
निरंतर द्वंद्व और निरंतर द्वंद्\व से मुक्ति का प्रयास मनुष्य की संस्कृति का मूल आधार है। पुराण हमें आधार देते है। इसी उद्देश्य को लेकर पाठकों की रूचि के अनुसार सरल, सहज भाषा में प्रस्तुत है पुराण साहित्य की श्रृंखला में ‘अग्नि पुराण’।

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