Author: | Sudhir Bansal | ISBN: | 1230000861281 |
Publisher: | onlinegatha | Publication: | December 28, 2015 |
Imprint: | Ebook | Language: | English |
Author: | Sudhir Bansal |
ISBN: | 1230000861281 |
Publisher: | onlinegatha |
Publication: | December 28, 2015 |
Imprint: | Ebook |
Language: | English |
श्री सुधीर बंसल की पुस्तक अवलोकन व दृष्टिकोण की कवितायेँ मैनें पढ़ीं व सुनीं । अच्छी लगीं । इससे पहले मैंने पहले से प्रकाशित दो काव्य संग्रह 'दर्द' व 'देखा है' को भी पढ़ा व सुना | वास्तव में सुधीर जी अच्छा लिखते हैं उनकी कविताओं में विचार प्रधान हैं। कविताओं में कहीं कहीं छांदिक दोष है जो कि भाषा के प्रभाव में गायब हो जाता है, यही उनकी कविताओं की सबसे बड़ी शक्ति है । इनकी रचनाएँ सूक्तियों के रूप में उद्दत की जाएँगी इसमें कोई शक नहीं है। जीवन जगत के सन्दर्भ में विचार पूर्ण सूक्तियाँ लिखी हैं वैसी अन्यथा देखने को नहीं मिलीं हैं। इनके उज्जवल भविष्य के प्रति में पूरी तरह आश्वस्त हूँ। कामना करता हूँ कि दीर्घ आयु काल तक इसी प्रकार साहित्य की सेवा करते रहें |
पद्मभूषण कवि गोपाल दास 'नीरज'
जनकपुरी, अलीगढ़
श्री सुधीर बंसल की पुस्तक अवलोकन व दृष्टिकोण की कवितायेँ मैनें पढ़ीं व सुनीं । अच्छी लगीं । इससे पहले मैंने पहले से प्रकाशित दो काव्य संग्रह 'दर्द' व 'देखा है' को भी पढ़ा व सुना | वास्तव में सुधीर जी अच्छा लिखते हैं उनकी कविताओं में विचार प्रधान हैं। कविताओं में कहीं कहीं छांदिक दोष है जो कि भाषा के प्रभाव में गायब हो जाता है, यही उनकी कविताओं की सबसे बड़ी शक्ति है । इनकी रचनाएँ सूक्तियों के रूप में उद्दत की जाएँगी इसमें कोई शक नहीं है। जीवन जगत के सन्दर्भ में विचार पूर्ण सूक्तियाँ लिखी हैं वैसी अन्यथा देखने को नहीं मिलीं हैं। इनके उज्जवल भविष्य के प्रति में पूरी तरह आश्वस्त हूँ। कामना करता हूँ कि दीर्घ आयु काल तक इसी प्रकार साहित्य की सेवा करते रहें |
पद्मभूषण कवि गोपाल दास 'नीरज'
जनकपुरी, अलीगढ़