कंपनी को परेशानियों के भँवर से निकालकर सफलता के उत्कर्ष तक पहुँचाने का हौसला नारायण मूर्ति का ही था। सात लोगों के साथ उन्होंने जिस कंपनी की स्थापना की थी, आज उसमें एक लाख से अधिक कर्मचारी हैं। जो कंपनी मात्र दस हजार रुपए की पूँजी से शुरू हुई थी, उसका वार्षिक राजस्व (वित्तीय वर्ष 2009) बीस हजार करोड़ रुपए से अधिक है। क्या कुछ और कहने की आवश्यकता है?उद्यमी ही नहीं, जनसामान्य के लिए भी एक प्रेरणादायी पुस्तक।
कंपनी को परेशानियों के भँवर से निकालकर सफलता के उत्कर्ष तक पहुँचाने का हौसला नारायण मूर्ति का ही था। सात लोगों के साथ उन्होंने जिस कंपनी की स्थापना की थी, आज उसमें एक लाख से अधिक कर्मचारी हैं। जो कंपनी मात्र दस हजार रुपए की पूँजी से शुरू हुई थी, उसका वार्षिक राजस्व (वित्तीय वर्ष 2009) बीस हजार करोड़ रुपए से अधिक है। क्या कुछ और कहने की आवश्यकता है?उद्यमी ही नहीं, जनसामान्य के लिए भी एक प्रेरणादायी पुस्तक।