जज्बात-ए-क़लम- एक खूबसूरत एहसास

Jazbaat A Kalam: Ek Khoobsurat Ehsaas

Fiction & Literature, Poetry
Cover of the book जज्बात-ए-क़लम- एक खूबसूरत एहसास by Dr. Mobeen Khan, Prashant Magre, डॉ0 मोबीन खान, Book Bazooka
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Author: Dr. Mobeen Khan, Prashant Magre, डॉ0 मोबीन खान ISBN: 1230002060125
Publisher: Book Bazooka Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka Language: English
Author: Dr. Mobeen Khan, Prashant Magre, डॉ0 मोबीन खान
ISBN: 1230002060125
Publisher: Book Bazooka
Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka
Language: English

साहित्य का जिन्दगी से हमेशा रिश्ता रहा है। कभी जिन्दगी को पन्नों पर उतारी है तो कभी खुद जिन्दगी बन कर पन्नों पर उतर गयी है। आज के इस दौर में मासूम से लेकर बुजुर्ग तक सभी में एक अजीब सा बदलाव आ गया है। दिलों में दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। तहजीब तो ऐसे लगता है कि किसी चिड़िया का नाम हो जो अपना बसेरा उजाड़ कर खुद ही कहीं दूर चली गयी हो। ऐसा नहीं है कि आज के दौर में वो लोग नहीं हैं जो तहजीब को लेकर फिक्रमंद ना हों। ऐसे ही कुछ दीवानों से भरी है ये पुस्तक। इस पुस्तक की खूबी ये है कि हिन्दुस्तान के अलग-अलग जगहों की लेखनी इसमें समाहित है, साथ ही साथ वो हिन्दुस्तानी भी इसमें शामिल हैं जो मुल्क के बाहर, हिन्दुस्तान का नाम रौशन कर रहे हैं। हिन्दुस्तान के अलग-अलग रंग एक ही जगह मौजूद हैं बस फर्क इतना है कि ये रंग शब्दों के सहारे पन्नों पर बिखेरे गए हैं और हर जिन्दादिल जो इन पन्नों से गुजरेगा इन रंगों को महसूस कर सकेगा।

कुछ ऐसे दीवाने जिन्होंने ख्वाब देखा है एक चमकते हुए चाँद का, जो एक दिन निकलेगा और मोहब्बत का ऊँजाला कर देगा। डूब जायेगा हर शख्स उस ऊंजाले में और महसूस करेगा उस रौशनी को, जो सीधे दिल से गुजरती हुई पूरे जिस्म को अपने आगोश में लेगी। एक जज्बात जो सीधे लोगों के दिल से निकली है और कलम के जरिये पन्नों पर उतर गयी है जिसका नाम है ‘ज़ज्बात-ए-कलमः एक खूबसूरत एहसास‘ इस उम्मीद के साथ ये पुस्तक प्रकाशित की गयी है कि लोगों में कुछ सकारात्मक बदलाव आएगा। रिश्तों की अहमियत से लेकर इंसानियत का जिक्र और फिक्र दोनों एक ही जगह मौजूद हैं। पुस्तक के पन्नों पर उतरे अलग-अलग अल्फाज जो मिलकर बाग सा नजर आते हैं, लोगों को मोहब्बत की डोर में बांधने का काम करेंगे। सभी साथियों का एक जगह इकठ्ठा होना वो भी सिर्फ और सिर्फ सोच की समानता की वजह से, इस बात का सबूत है कि कलम से बढ़कर कोई और जरिया नहीं है आपसी मोहब्बत का। इसी उम्मीद के साथ अपनी बात खत्म कर रहा हूँ की हर पाठक के दिल में ये पुस्तक जगह बनाएगी।

‘‘जहाँ इक रंग का फूल खिलता है, उसे खेत कहते हैं!
जिसे बाग की चाहत होगी, हिन्दुस्तान पसन्द आएगा!!‘‘

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साहित्य का जिन्दगी से हमेशा रिश्ता रहा है। कभी जिन्दगी को पन्नों पर उतारी है तो कभी खुद जिन्दगी बन कर पन्नों पर उतर गयी है। आज के इस दौर में मासूम से लेकर बुजुर्ग तक सभी में एक अजीब सा बदलाव आ गया है। दिलों में दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। तहजीब तो ऐसे लगता है कि किसी चिड़िया का नाम हो जो अपना बसेरा उजाड़ कर खुद ही कहीं दूर चली गयी हो। ऐसा नहीं है कि आज के दौर में वो लोग नहीं हैं जो तहजीब को लेकर फिक्रमंद ना हों। ऐसे ही कुछ दीवानों से भरी है ये पुस्तक। इस पुस्तक की खूबी ये है कि हिन्दुस्तान के अलग-अलग जगहों की लेखनी इसमें समाहित है, साथ ही साथ वो हिन्दुस्तानी भी इसमें शामिल हैं जो मुल्क के बाहर, हिन्दुस्तान का नाम रौशन कर रहे हैं। हिन्दुस्तान के अलग-अलग रंग एक ही जगह मौजूद हैं बस फर्क इतना है कि ये रंग शब्दों के सहारे पन्नों पर बिखेरे गए हैं और हर जिन्दादिल जो इन पन्नों से गुजरेगा इन रंगों को महसूस कर सकेगा।

कुछ ऐसे दीवाने जिन्होंने ख्वाब देखा है एक चमकते हुए चाँद का, जो एक दिन निकलेगा और मोहब्बत का ऊँजाला कर देगा। डूब जायेगा हर शख्स उस ऊंजाले में और महसूस करेगा उस रौशनी को, जो सीधे दिल से गुजरती हुई पूरे जिस्म को अपने आगोश में लेगी। एक जज्बात जो सीधे लोगों के दिल से निकली है और कलम के जरिये पन्नों पर उतर गयी है जिसका नाम है ‘ज़ज्बात-ए-कलमः एक खूबसूरत एहसास‘ इस उम्मीद के साथ ये पुस्तक प्रकाशित की गयी है कि लोगों में कुछ सकारात्मक बदलाव आएगा। रिश्तों की अहमियत से लेकर इंसानियत का जिक्र और फिक्र दोनों एक ही जगह मौजूद हैं। पुस्तक के पन्नों पर उतरे अलग-अलग अल्फाज जो मिलकर बाग सा नजर आते हैं, लोगों को मोहब्बत की डोर में बांधने का काम करेंगे। सभी साथियों का एक जगह इकठ्ठा होना वो भी सिर्फ और सिर्फ सोच की समानता की वजह से, इस बात का सबूत है कि कलम से बढ़कर कोई और जरिया नहीं है आपसी मोहब्बत का। इसी उम्मीद के साथ अपनी बात खत्म कर रहा हूँ की हर पाठक के दिल में ये पुस्तक जगह बनाएगी।

‘‘जहाँ इक रंग का फूल खिलता है, उसे खेत कहते हैं!
जिसे बाग की चाहत होगी, हिन्दुस्तान पसन्द आएगा!!‘‘

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