मूरख तो एकहि भलो

Fiction & Literature, Classics
Cover of the book मूरख तो एकहि भलो by KamlaNath, onlinegatha
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: KamlaNath ISBN: 1230000851398
Publisher: onlinegatha Publication: December 17, 2015
Imprint: Ebook Language: English
Author: KamlaNath
ISBN: 1230000851398
Publisher: onlinegatha
Publication: December 17, 2015
Imprint: Ebook
Language: English

व्यंग्यकार और कहानीकार कमलानाथ के व्यंग्य इस संग्रह में उनकी अपनी अनूठी साहित्यिक शैली में आसपास बन रही मनोरंजक परिस्थितियों, उपहासास्पद आयोजनों, अजीबोग़रीब राजनैतिक तेवरों, शासकीय धांधलियों, विनोदपूर्ण घटनाक्रमों, और विभिन्न क्षेत्रों में तथाकथित ‘पहुंचे हुए’ लोगों के कार्यकलापों का गुदगुदाने वाला ब्यौरा प्रस्तुत करते हैं।समाज में व्यापक विसंगतियोंऔर विडंबनाओं का साक्षात्कार वे पाठक के साथ अतिशयोक्ति, कटाक्ष, परिहास, प्रतीकों और हास्य के पुट के संयोजन के माध्यम से कराते हैं।

सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक, राजनैतिक परिवेशमें दिखाई देने वाले विरोधाभासों, चोंचलेबाज़ियों, तरह तरह के ढकोसलों,सतत् विकासशील भ्रष्टतंत्रों और विभिन्न क्षेत्रों के स्वयम्भू मठाधीशों के कार्यकलापों, आयोजनों में घटित हास्यास्पद परिस्थितियोंआदि पर चुटकी लेते कमलानाथ के व्यंग्य ताज़गी देने वाली साहित्यिक शब्दावली की महक से सराबोर तो होते ही हैं, उनके कटाक्षों मेंस्मित हास्य का पुट भी समाया होता है। उनकी कहानियां और व्यंग्य साठ के दशक से विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।एक सफल इंजीनियर के गौरवमय दायित्वों का निर्वहन करते हुए चार दशाब्दियों से तकनीकीलेखन करते रहने पर भी कमलानाथ की साहित्यिक गंभीरता उनकी हिंदी कहानियों और व्यंग्यों की भाषाशैली में झलकती है।

• “ये गंभीर और परिपक्व व्यंग्य-रचनाएं सस्ती लोकप्रियता, प्रसिद्धि या व्यंग्यबाज़ार की मांग पर लिखी हुई नहीं, बल्कि सुलझी दृष्टि और सधी कलम से एक पैदाइशी व्यंग्यकार की कलमकारी का नमूना हैं।”

-डॉ. सूर्यबाला(प्रसिद्ध व्यंग्यकार)

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

व्यंग्यकार और कहानीकार कमलानाथ के व्यंग्य इस संग्रह में उनकी अपनी अनूठी साहित्यिक शैली में आसपास बन रही मनोरंजक परिस्थितियों, उपहासास्पद आयोजनों, अजीबोग़रीब राजनैतिक तेवरों, शासकीय धांधलियों, विनोदपूर्ण घटनाक्रमों, और विभिन्न क्षेत्रों में तथाकथित ‘पहुंचे हुए’ लोगों के कार्यकलापों का गुदगुदाने वाला ब्यौरा प्रस्तुत करते हैं।समाज में व्यापक विसंगतियोंऔर विडंबनाओं का साक्षात्कार वे पाठक के साथ अतिशयोक्ति, कटाक्ष, परिहास, प्रतीकों और हास्य के पुट के संयोजन के माध्यम से कराते हैं।

सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक, राजनैतिक परिवेशमें दिखाई देने वाले विरोधाभासों, चोंचलेबाज़ियों, तरह तरह के ढकोसलों,सतत् विकासशील भ्रष्टतंत्रों और विभिन्न क्षेत्रों के स्वयम्भू मठाधीशों के कार्यकलापों, आयोजनों में घटित हास्यास्पद परिस्थितियोंआदि पर चुटकी लेते कमलानाथ के व्यंग्य ताज़गी देने वाली साहित्यिक शब्दावली की महक से सराबोर तो होते ही हैं, उनके कटाक्षों मेंस्मित हास्य का पुट भी समाया होता है। उनकी कहानियां और व्यंग्य साठ के दशक से विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।एक सफल इंजीनियर के गौरवमय दायित्वों का निर्वहन करते हुए चार दशाब्दियों से तकनीकीलेखन करते रहने पर भी कमलानाथ की साहित्यिक गंभीरता उनकी हिंदी कहानियों और व्यंग्यों की भाषाशैली में झलकती है।

• “ये गंभीर और परिपक्व व्यंग्य-रचनाएं सस्ती लोकप्रियता, प्रसिद्धि या व्यंग्यबाज़ार की मांग पर लिखी हुई नहीं, बल्कि सुलझी दृष्टि और सधी कलम से एक पैदाइशी व्यंग्यकार की कलमकारी का नमूना हैं।”

-डॉ. सूर्यबाला(प्रसिद्ध व्यंग्यकार)

More books from onlinegatha

Cover of the book Kab Tak Humko Batoge by KamlaNath
Cover of the book The real theory of business by KamlaNath
Cover of the book MILES APART by KamlaNath
Cover of the book Rainbow of Tarot Cards by KamlaNath
Cover of the book Foot Lovers by KamlaNath
Cover of the book Tangled Bonds by KamlaNath
Cover of the book The Ugly Sin by KamlaNath
Cover of the book An Experimental Text Book on Phytochemical Analysis and Antimicrobial Analysis on Mentha Pepirita by KamlaNath
Cover of the book Dekha hai.. (Kavita sangrah) by KamlaNath
Cover of the book Life's Reverie by KamlaNath
Cover of the book Plant Biotechnology by KamlaNath
Cover of the book Ripples of GANGA (A Play in SEVEN Acts) by KamlaNath
Cover of the book RAJNIKA A WAY TO FOUND REAL IDENTITY by KamlaNath
Cover of the book Me and GUNGA DIN by KamlaNath
Cover of the book Sulagti Jindagi ke Dhue by KamlaNath
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy