‘भज गोविन्दम्’ देखने में भले ही छोटा ग्रन्थ लगे, परन्तु वास्तव में आदि शंकर की यह एक महत्वपूर्ण रचना है। इसमें वेदान्त के मूल आधार की शिक्षा सरल गान में दी गई है, ताकि कोई बुद्धिमान व्यक्ति अगर इसका अध्ययन सच्चाई के साथ करे तो उसके सारे मोह नष्ट हो सकते हैं, और इसीलिए इसका एक मान पड़ा ‘मोह-मुद्गर’।
‘भज गोविन्दम्’ देखने में भले ही छोटा ग्रन्थ लगे, परन्तु वास्तव में आदि शंकर की यह एक महत्वपूर्ण रचना है। इसमें वेदान्त के मूल आधार की शिक्षा सरल गान में दी गई है, ताकि कोई बुद्धिमान व्यक्ति अगर इसका अध्ययन सच्चाई के साथ करे तो उसके सारे मोह नष्ट हो सकते हैं, और इसीलिए इसका एक मान पड़ा ‘मोह-मुद्गर’।