Author: | Kausar Waseem | ISBN: | 1230002343570 |
Publisher: | onlinegatha | Publication: | May 28, 2018 |
Imprint: | OnlineGatha | Language: | English |
Author: | Kausar Waseem |
ISBN: | 1230002343570 |
Publisher: | onlinegatha |
Publication: | May 28, 2018 |
Imprint: | OnlineGatha |
Language: | English |
वीर ग़ज़ाला !!यह बुक नहीं है, अरे यह तो आशिको का दिल है जो नफरत वार सहते-सहते खुद को लहू लुहान कर लिया है , और उनके ज़ख़्मी जिगर से लहू है की रुकता ही नहीं | इसी लहू की स्याही से यह अफ़साना लिखा है और इस अफ़साने ने ज़माने को यह पैग़ाम दिया है कि इन आशिक़ो की आर में नफरत क्यों जम कर निभायी गयी है ? सरहद उस पार यार है उसका , सरहद उस पार प्यार है इसका। .दो आशिक़ सरहद के दरमियान अपनी बाहें फैलाये खड़े हैं, अपनी ज़िन्दगी से मिलने को | फिर क्यों इनकी नज़दीकियों में फासले बना दिए ? यह इस पार अपने रब से दुहाई दे रहा है अपने महबूब से मिलने की : वो उस पार अपने आशिक़ की नज़दीकियों को तरस रहा है |
वीर ग़ज़ाला !!यह बुक नहीं है, अरे यह तो आशिको का दिल है जो नफरत वार सहते-सहते खुद को लहू लुहान कर लिया है , और उनके ज़ख़्मी जिगर से लहू है की रुकता ही नहीं | इसी लहू की स्याही से यह अफ़साना लिखा है और इस अफ़साने ने ज़माने को यह पैग़ाम दिया है कि इन आशिक़ो की आर में नफरत क्यों जम कर निभायी गयी है ? सरहद उस पार यार है उसका , सरहद उस पार प्यार है इसका। .दो आशिक़ सरहद के दरमियान अपनी बाहें फैलाये खड़े हैं, अपनी ज़िन्दगी से मिलने को | फिर क्यों इनकी नज़दीकियों में फासले बना दिए ? यह इस पार अपने रब से दुहाई दे रहा है अपने महबूब से मिलने की : वो उस पार अपने आशिक़ की नज़दीकियों को तरस रहा है |